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शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

खांसी भगाए गेंदा फूल


पिछले दिनों वैद्य अवनींद्र जोशी जी का वाट्स एप पर एक संदेश पढ़ा। खांसी कितनी ही पुरानी क्यों न हो गेंदे के फूल का पानी पीने से दो चार दिन में ही छूमंतर हो जाती है। मुझे ध्यान आया होम्योपैथी में भी गेंदे के फूल से बनी दवा है कैलेंडुला। वह भी खांसी जुकाम और जख्म भरने के लिए प्रयोग की जाती है।
कैलेंडुला होम्योपैथी की सबसे सशक्त हिलिंग रेमेडी है। इस दवा के प्रयोग से बड़े बड़े घाव ठीक हो जाते हैं ।इसलिए मुझे जोशीजी के इस नुस्खे पर सहज विश्वास होगया। और मैंने इसका प्रयोग कुछ लोगों पर किया और अच्छे परिणाम मिले।
गेंदे के फूल का यह उपचार बड़ा सरल है। गेंदे का एक ताजा फूल लीजिए, उसको तोड़कर उसकी पंखुड़ियां एक तांबे के लोटे में भिगो दीजिए। रात भर भीगने के बाद सुबह यह पानी पंखुड़ियां एक ओर हटाकर दिन में चार पांच बार चार चार चम्मच पीने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है। जोशीजी ने तो 75 साल के एक वृद्ध जिन्हें 25 साल से खांसी चल रही थी का इलाज इस नुस्खे से किया और चंद दिनों में उनकी खांसी ठीक हो गई, जो अनेक दवाएं लेने पर भी ठीक नहीं हो रही थी। एक बालक की छाती में कफ भर गया था । आपरेशन की नौबत आ गई थी। यह प्रयोग किया गया और ऑपरेशन टल गया। यह बड़ा सरल और प्राकृतिक उपाय है। कोई साइड इफेक्ट भी नहीं। इस पानी से आंखें धोने से नेत्र और दृष्टि साफ हो जाती है। अगर दुर्घटनावश कोई अंग जल जाए तो गेंदे के फूलों के पानी से जलन दूर हो जाती है और छाले नहीं उठते।

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

विठ्ठल का जप दिल की दवा

इसी ब्लाग में मैं पूर्व में बिना पैसे का इलाज गायत्री मंत्र शीर्षक से मंत्रों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र कर चुका हूं। जबलपुर मेडिकल कालेज के डाक्टर शर्मा ने गायत्री मंत्र को लेकर अपने हृदयरोगियों पर शोध के बाद यह पाया था कि गायत्री मंत्र के पाठ के बाद रोगियों की दशा में असाधारण सुधार देखा गया। हाल ही वाट्सएप पर पंढरपुर की दांडी यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं पर एक मैसेज पढ़ने को मिला। इस दांडी यात्रा के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु पैदल पंढरपुर जाते हैं। चलते चलते ये विठ्ठल विठ्ठल, जय हरि विठ्ठल का जाप करते हैं। लगभग 200 किलोमीटर की यह यात्रा आषाढ़ी एकादशी को संपन्न होती है। हाल ही इस यात्रा को लेकर एक शोध हुआ। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व कई लोग मेडिकली अनफिट पाए गए थे। कई को सीरियस हार्ट प्राब्लम थी और डाक्टरों ने उन्हें यात्रा न करने की सलाह दी थी। मगर फिर भी वे गए और वापसी पर जब उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, तो वे पहले से काफी स्वस्थ पाए गए।
फिर पुणे के एक शोध संस्थान ने विभिन्न हृदयरोगियों पर विठ्ठल विठ्ठल के जप के प्रभाव का अध्ययन किया। करीब 25 रोगियों को दस दिन तक रोज सुबह शांत वातावरण में दस मिनट तक विठ्ठल विठ्ठल का जप कराया गया। दस दिन बाद जब उनका परीक्षण किया तो चौंकाने वाले परिणाम मिले। वे लगभग सामान्य हो चुके थे। दो साल तक परीक्षण के बाद डाक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि विठ्ठल शब्द के उच्चारण का दिल पर जादुई असर होता है। यह दिल को वाइब्रेट करता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में मंत्र और ध्वनि के मनुष्य और प्राणियों पर प्रभाव का जिक्र कईं जगह मिलता है। शरीर के प्राणवान ऊर्जा माने तेजस और ओजस शरीर के मूल तत्व वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करते हैं। इस ऊर्जा को संतुलित बनाए रखने में ध्वनि, नाद व मंत्रोच्चार का जबरदस्त प्रभाव होता है। दुनिया के कईं देशों में संगीत और ध्वनि के प्रभाव को लेकर अनेक शोध किए जा रहे हैं और पहले भी हुए हैं। इसलिए मंत्र शक्ति के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता। हमारे ऋषि मुनियों ने गहन शोध और तपस्या के बाद इनका सृजन किया है। आजकल के आधुनिक चिकित्सा विज्ञानी जो कार्य तंत्र (औजारों) से चीरफाड़ कर करते हैं, हमारे ऋषिःमुनियों ने सदियों पहले वही कार्य मंत्र (ध्वनि) के द्वारा करने में सफलता हासिल कर ली थी।
 

मंगलवार, 4 जुलाई 2017

जानापाव में बने जड़ी-बूटी उद्यान

जानापाव इंदौर से 45 किलोमीटर दूर मुम्बईे-आगरा राजमार्ग पर मालवा के पठार का दूसरा सबसे उंचा पर्वतीय स्थल है। घने जंगलों से आच्छादित इस स्थल का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। ऐसी कथा है कि परशुरामजी के पिता जमदाग्नि ऋषि का यहां आश्रम था। इस तपोभूमि पर परशुरामजी की माता रॆणुकादेवी जो आयुर्वेद की चिकित्सक थी, ने अनेक जड़ी बूटियों के पौधे लगाए थे। वन विभाग को चाहिए कि यहां की इस ख्याति को पुनर्जीवित किया जाए। यहां के प्रदूषण रहित वातावरण में ऐसा उद्यान खूब फैल सकता है। बाबा रामदेव पीथमपुर में पतंजलि की फेक्टरी लगा ही रहे हैं। औषधि निर्माण के लिए जड़ी बूटी यहां से मिल सकती है। जड़ी-बूटियों के कुछ दुर्लभ पौधे हरिद्वार के पतंजलि उद्यान से लाए जा सकते हैं। पहाड़ी पर यहां एक गौशाला भी है। गौशाला का इस्तेमाल भी पंचगव्य के निर्माण में किया जा सकता है। आज के इस युग में जब बीमारियां बढ़ रही हैं और एलोपैथिक चिकित्सा अत्यंत महंगी होती जा रही है, फिर इसके साइड इफैक्ट भी जबरदस्त होते हैं। ऐसे में आयुर्वैद और पंचगव्य गो चिकित्सा को बढ़ावा देने की खास जरूरत है। पहाड़ी पर एक कुंड है, जिससे चम्बल, सरस्वती और नखेरी सहित करीब एक दर्जन नदियों का उद्गम हुआ है। जब हम गए तो कुंड सूखा मिला। भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने गए हैं। परशुराम जयंती पर हर साल यहां मेला लगता है। पुराने मंदिर के सामने अब नए भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा है। वन विभाग ने इस स्थल को रिजार्ट की तरह विकसित किया है। पहले यहां पैदल चढ़ाई कर जाना पड़ता था। अब पहाड़ी के शीर्ष तक सड़क बना दी गई है। पहाड़ी पर ठहरने और रात रुकने की व्यवस्था भी की गई है। भोजन यहां या तो स्वयं सामान लाकर पकाना पड़ता है या पहाड़ी से नीचे के होटलों में आर्डर कर मंगवाया जा सकता है।
जानापाव से मेरे बचपन की एक स्मृति जुड़ी है। मेरा जन्म धार जिले के धामनोद में हुआ था। महेश्वर में ननिहाल था। मैं तीन वर्ष का था तब मां और नानी के साथ मामा की बैलगाड़ी से यहां लाया गया था। मुझे तो कुछ स्मरण नहीं मगर मां अक्सर बताया करती थी कि मैं जानापाव के कुंड में डूबते डूबते बचा था। अगर तब डूब गया होता तो जानापाव कभी जा ही नहीं पाता। जानापाव जाने की इच्छा सदैव मन में रहती, मगर कभी योग ही नहीं आया। हालांकि इस मार्ग से अनेकों बार इंदौर से खरगोन जाना हुआ। 65 वर्ष बाद 2 जुलाई 2017 को बचपन के दो मित्रों सत्येन्द्र पारीख और जुगल ताम्रकर के साथ जानापाव जाने का संयोग आखिर बन ही गया। हल्की वर्षा से उस रोज मौसम काफी खुशनुमा था। पहाड़ी पर बादल ऐसे नजर आते, मानो हाथों से छू लें। हवा इतनी तेज चल रही थी कि सम्हलो नहीं तो नीचे गिरा दे। रविवार का दिन होने से काफी पर्यटक मौजूद थे। बाइक और कारों से आते हैं यहां दूर दूर से लोग। कई साथ में खाना भी ले आए थे और प्रकृति की गोद में खाने का लुत्फ उठा रहे थे। अधिकांश लोग तो अपने सेलफोन से सेल्फी लेने में मगन थे।  

मंगलवार, 9 मई 2017

जोड़ों के दर्द का बेजोड़ नुस्खा


50 साल के बाद धीरे-धीरे शरीर के जोड़ों में लुब्रीकेन्टस एवं केल्शियम बनना कम हो जाता है, इस कारण जोड़ों का दर्द व्यक्ति को परेशान करने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों के बीच गैप बढ़ने लगती है। केल्शियम की कमी जैसी समस्या भी सामने आती है।आधुनिक चिकित्सा में डाक्टर आपको जाइन्ट रिप्लेस करने की सलाह देते हैं। कई आथिॅक रुप से समृध्द यह उपचार करवा भी लेते हैं। वे मानते हैं कि हमारे पास तो बहुत पैसे हैं तो फिर घुटना चेंज क्यों न करवा लें। लेकिन जो चीज कुदरत ने हमें दी है, वो आधुनिक विज्ञान या कोई भी वैझानिक नही बना सकता।  कृत्रिम जाइन्ट फिट करवा कर थोड़े समय के लिए आपको राहत भले ही मिल जाए लेकिन यह स्थायी इलाज नहीं हो सकता। २-४ साल तक तो यह ठीक चलते हैं लेकिन बाद में तकलीफ और बढ़ सकती है। यहां हम आपको सस्ता और सुंदर उपचार बताते हैं, जिसे बगैर अधिक खर्च के आसानी से अपनाया जा सकता है। कुदरत ने हमें अनेक जड़ी बूटियां दी हैं, जो हमारे रोगों का सही ढंग से निवारण करती हैं। नीम, बबूल, पीपल, बरगद, तुलसी, अशोक, अमलतास जैसे पेड़ मनुष्य को कुदरत की अमूल्य भेंट हैं। 
*बबूल* नामक वृक्ष आपने जरुर देखा होगा। यह भारत में हर जगह बिना लगाये ही अपने आप खड़ा हो जाता है। अगर यह बबूल वृक्ष अमेरिका जैसे देशाे में इतनी मात्रा में होता तो आज वे ही लोग इनकी दवाई बनाकर हमसे हजारों रुपये लुटते । लेकिन भारत के लोगों को जो चीज मुफ्त में मिलती है, उनकी कोई  कदर नही करता है।
प्रयोग इस प्रकार करना है *बबूल* के पेड़ पर जो *फली ( फल)* आती है उसे तोड़कर लेकर आएं, यदि आपको शहर में नही मिल तो किसी गांव में चले जाएँ वहाँ जितने चाहें उतने बबूल मिल जायेगें। इन फलियों को सुखाकर पाउडर बनालें  आैर सुबह १ चम्मच की मात्रा में  यह पाउडर गुनगुने पानी के साथ खाने से आप जोड़ों के दर्द से निजात पा सकते हैं। यह दवा आपको 2-3 महीने लगातार सेवन करने से .आपको घुटनें बदलने की जरुरत नही पड़ेगी।
अगर चाहें तो एक और विकल्प है जिसे भी आजमाया जा सकता है। कुछ और आयुर्वेदिक दवाएं मिलने से यह फार्मूला और प्रभावी हो जाता है। 
➡ सौंठ 20 gms 
➡ अजवाइन. 20 gms 
➡ पुनर्नवा 50 gms 
➡ गीलोय. 50 Gms 
➡ देशी बबूलफली 300 gms 
➡ शुद्ध कुचला 06 gms 
इन सभी दवाओं को मिलाकर पावडर बना लें और रोज सुबह गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच पावडर दो तीन महीने सेवन करें। ये सभी दवाएं आपको पसारी के यहां मिल जाएंगीं।

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

🌀तेजपान के फायदे🌀

    दोस्तों आज आपको हम तेजपान के फायदों से अवगत कराते हैं। तेजपान गरम मसाले में प्रयोग होता है लेकिन इसके गुणों से हम नावाकिफ है। यह कैंसर, डायबिटीज, ह्रदय रोग और किडनी रोग जैसी घातक बीमारियों में अत्यंत उपयोगी है।
 कैंसर# तेजपान में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं, इसमें कैफीक एसिड, क्वेरी सेटिंग और इयूगिनेल नामक तत्व होते हैं, जो कैंसर होने से रोकते हैं।
 डायबिटीज# यह टाइप टू डायबिटीज में लाभदायक है, ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। बार बार पेशाब की हाजत इसके सेवन से दूर हो जाती है।
 हृदयरोग# दिल को भी यह दुरुस्त रखता है, रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता हैै।
 किडनी रोग# इस रोग में तेज पत्तों को पानी में उबालकर नियमित पिए तो लाभ होता है। 
नींद # यह नींद का हैंगओवर दूर करता है। रात को तेजपान के तीन चार पत्ते आधा गिलास पानी में भिगो दें, सुबह उठने के बाद यह पानी पीने से आपको नींद के हैंगओवर से राहत मिलेगी। 
कब्ज भगाए# कब्ज, एसिडिटी और ऐठन को तेजपान दूर करता है। इस रोग में इसका चूर्ण नियमित रात को सोने से पूर्व लें।
 सिर दर्द# सिरदर्द और सर्दी में भी तेजपान उपयोगी है, तेज पान के पत्ते पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से दर्द दूर होता है। इसका काढ़ा सर्दी जुकाम दूर करता है। खांसी में तेजपान और पीपल के पेड़ की छाल बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें आधा चम्मच चूर्ण शहद और अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम चाटें।
 अस्थमा# दमा रोग में भी तेजपान उपयोगी है। अस्थमा और श्वास नली के रोग इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। तेजपान और पीपल बराबर मात्रा में पीसकर थोड़े चूर्ण को अदरक का रस मिलाकर शहद के साथ चाटें। 
यौनशक्ति# तेजपान का चूर्ण सुबह गर्म गोदूध के साथ नियमित सेवन से यौन शक्ति बढ़तीहै।
आमवात# गठिया रोग के अलावा उदरशूल में भी यह फायदा करता है। इसके नियमित सेवन से भूख खुलकर लगती है।
  दांत चमकाए# अगर आपके दांत पीले पड़ गए हैं, तो तेज पान के चूर्ण से हर तीसरे या चौथे दिन मंजन कर आप उन्हें चमकदार बना सकते हैं। इससे आपके दांतों में कीड़े भी नहीं लगेंगे।

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

थाइराइड का अचूक उपचार


आज के समय में ज़्यादातर लोगों को थाइराइड की समस्या है, इसके कारण सैकड़ों बीमारियां घेर लेती है।
मोटापा इसी के कारण बढ़ जाता है।
लोग दवा खाते रहते हैं लेकिन ये ठीक नही होता।
*इसलिए दवा के साथ कुछ नियम जान लें 10 दिन में थाइराइड से आराम मिल जायेगा।*
✍1: घर से रिफाइंड तेल बिलकुल हटा दीजिये, न सोयाबीन न सूरजमुखी, भोजन के लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या देशी घी का प्रयोग करें।
✍2: आयोडीन नमक के नाम से बिकने वाला ज़हर बंद करके सेंधा नमक का प्रयोग करें, समुद्री नमक BP, थाइराइड, त्वचा रोग और हार्ट के रोगों को जन्म देता है।
✍3: दाल बनाते समय सीधे कुकर में दाल डाल कर सीटी न लगाएं, पहले उसे खुला रखें, जब एक उबाल आ जाये तब दाल से फेना जैसा निकलेगा, उसे किसी चमचे से निकाल कर फेंक दें, फिर सीटी लगा कर दाल पकाएं।
*इन तीन उपायों को अगर अपना लिया तो पहले तो किसी को थाइराइड होगा नही और अगर पहले से है तो दवा खा कर 10 दिन में ठीक हो जायेगा।*
✍ *थाइराइड की दवा:*
2 चम्मच गाजर का रस
3 चम्मच खीरे का रस
1 चम्मच पिसी अलसी
तीनो को आपस में मिला कर सुबह खाली पेट खा लें।
इसे खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ नही खाना है।
ये इलाज़ रोज सुबह खाली पेट लें, 7 दिन में परिणाम देख लें।
🌷 *घर पर ENO बनाये*
सामग्री --- 100 ग्राम ENO बनाने के लिए
1---40 ग्राम नीबू सत्व (लीबु ना फुल)
2----55 ग्राम  खाने वाला  सोडा
3-----05 ग्राम सेंधा नमक
सभी सामग्री को अच्छे से मिलाकर airtight कांच की बोतल में भरकर रखे।
प्रयोग ----
एक गिलास पानी में 3-4 ग्राम  डाल कर अच्छे से मिलाए । बिलकुल ENO जैसा बन जायेगा ।
ये साम्रगी किराणे की दुकान पर मिल जायेगी ।
कुल 8 से 10 ₹ में 100 ग्राम ENO तैयार हो जाएगा, जबकि  Eno का पेकेट 5gm 7 rs.मे आता है।

🌻 *सफ़ेद दाग (ल्यiकोडर्मा)* 
गौमूत्र                 100 ग्राम
नीम के पत्ते          100 ग्राम
गाय के गोबर का रस      100 ग्राम
बावची चूर्ण           100 ग्राम
सभी को मिला कर पेस्ट बना लें, किसी भी प्रकार के चर्म रोग, सोराइसिस, सफ़ेद दाग में इसे लगाने से बहुत जल्द फायदा मिलता है।

 *उच्च रक्तचाप (High BP)*
जिन मरीजों को रोज BP की दवा खानी पड़ती है उनके लिए एक अचूक हथियार है।
*200 ग्राम बड़ी इलायची ले कर तवे पर भूने, इतना भूनना है कि इलायची जल कर राख हो जाये, इस राख को पीस कर किसी डिब्बी में भर लें, सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से 1 घंटा पहले 5 ग्राम राख को 2 चम्मच शहद में मिला कर खा लें*।
नियमित 15-20 दिन इस उपचार को करने के बाद आपको BP की किसी दवा को खाने की ज़रूरत नही पड़ेगी।

सोमवार, 4 जुलाई 2016

डाक्टर हेगड़े जैसे चिकित्सक चाहिए

डा. बीएम हेगड़े (बेले मोनप्पा हेगड़े) का जन्म 18 अगस्त 1938 को कर्नाटक के उडुपी जिले में हुआ। वे चिकित्सा वैज्ञानिक, शिक्षाविद, प्रखर वक्ता और अच्छे लेखक हैं। मनिपाल विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय विद्याभवन जैसी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था
मंगलौर के केन्द्र प्रमुख रह चुके हैं। 1999 में उन्हें बीसी राय पुरस्कार और 2010 में पद्मभूषण से नवाजा गया। आपने कईं चिकित्सा पत्रिकाओं का संपादन किया, चिकित्सा से संबंधित अनेक लेख लिखे और पुस्तकें लिखीं। बिहार राज्य हेल्थ सोसायटी कीविशेषज्ञ समिति के चेयरपर्सन रहे और लंदन विश्वविद्यालय में कार्डियोलाजी के अतिथि प्राध्यापक रहे। एक प्रखर वक्ता के रूप में आप दुनियाभर में चिकित्सा और रोगों को लेकर प्रचलित भ्रांतियों का निवारण करते रहते हैं। मेडिकल चिटिंग के प्रति लोगों को जागरूक करते रहते हैं। यूट्यूब पर आपके अनेक व्याख्यानों के विडियो उपलब्ध हैं। इनमें रामकृष्ण मिशन बंगलोर में दिए गए व्याख्यान तो अद्भुत हैं। उनके इन व्याख्यानों का सार यहां मैं संक्षेप में पेश कर रहा हूं। अगर इसके बाद विस्तार से सुनने की लालसा जगे तो यूट्यूब पर जरूर सुनिए।
* इलाज की वर्तमान पद्धति अप्रासंगिक है। यह बहुत ही नुक्सानदायक है। यह अल्प उपचार, अति उपचार या गलत उपचार की ओर ले जाती है।
* बुढ़ापे अधिकांश मरीजों की समस्या दवाओं के दुष्प्रभाव से संबंधित होती है। लंबे समय तक ढेर सारी रासयनिक दवाएं लेने के कारण ऐसा होता है।
* अधिकांश रोग हमारे मन की उपज है। आप जैसा सोचते हैं, वैसे हो जाते हैं। अगर आप स्वयं को बूढ़ा या अशक्त मानेंगे तो वैसे ही हो जाएंगे।
* मानव शरीर में कोशिकाओं का सृजन और विसर्जन सतत चलता रहता है। मानव देह अरबों खरबों कोशिकाओं का एक पुंज है। तीन माह में शरीर की सभी कोशिकाएं नष्ट होकर उनका स्थान नई कोशिकाएं ले लेती हैं।
* आपके विचार आपकी कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। नकारात्मक विचार उन्हें बूढ़ा और रुग्ण बना देते हैं। हमेशा सकारात्मक विचार रखने वाला व्यक्ति चिरयुवा रह सकता है।
* मधुमेह कोई रोग नहीं है। अगर व्यक्ति सोच समझ कर खाए, नियमित व्यायाम करे और सफेद शकर से परहेज करे तो मधुमेह से बचा जा सकता है।
* आपके माता-पिता को डायबिटिज है तो आपको भी हो जाएगी, यह भय ही आपको मार डालता है। माता-पिता की डायबिटिज का औलाद पर असर लाखों में एक पर होता है।
* रोज-रोज ब्लडशुगर की जांच कतई जरूरी नहीं है। तीन माह में एक बार जांच कराएं। ग्लाइको साइलेटेड हिमोग्लोबिन का स्तर 7.5 से नीचे मेंटेन करें। यदाकदा शुगर बढ़ भी जाए तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं।
* चिकित्सा संबंधी अधिकांश लेख निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा लिखवाए जाते हैं। प्रसिद्ध लेखक मार्क ट्वेन ने कहा है-इन्हें कदापि न पढ़े छापे की यह भूल आपकी जान ले लेगी।
* हर व्यक्ति को अपना ऐसा एक फेमिली डाक्टर रखना चाहिए, जो एक मित्र के समान सही सलाह दे। कोई भी समस्या हो तो पहले उसे बताएं। सीधे-सीधे विशेषज्ञ के पास न जाएं। विशेषज्ञ आपकी शारीरिक स्थिति से परीचित नहीं होता।
* वृद्धावस्था में थोड़ा उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) आवश्यक होता है। इसके लिए लगातार दवाई लेना जरूरी नहीं है। लंबे समय तक दवाई लेने के कईं अन्य जोखिम हो सकते हैं।
* अगर बीपी या किसी बीमारी की कोई दवा ले रहे हैं, तो एकदम बंद न करें। अपने फेमिली डाक्टर की सलाह से धीरे-धीरे मात्रा कम करते हुए बंद करें।
* अपनी जीवनशैली को बदलिए। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, सकारात्क सोच, रोज भरपूर नींद और तंबाकू, सिगरेट, शराब से परहेज आपको सदैव स्वस्थ रखेंगे।
* लालच, ईर्ष्या, क्रोध और घमंड से बचें, ये आपको मृत्यु के मार्ग पर ले जाएंगे। प्रेम, भाईचारा और विश्वबंधुत्व की भावना हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं।
* अपने शरीर और मस्तिष्क को यथा संभव सक्रिय रखिए, अगर आप इनका समुचित इस्तेमाल नहीं करेंगे तो इन्हें खो देंगें।
* दिमाग की शांति के लिए संगीत, योग, ध्यान और प्राणायाम करें। दूसरों की भलाई और निस्वार्थ सेवा जैसे कार्य व्यक्ति को सदैव स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
* अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए दिलदार बनिए। दिमाग में कभी नकारात्मक विचार न लाएं। आवश्यकता जितना लीजिए, लोभ नर्क का द्वार है।
* दवाई अत्यंत जरूरी हो तो ही लीजिए। हर रोग के लिए कोई गोली नहीं है। हर गोली के बाद कोई न कोई रोग जरूर हो सकता है।
* रोज कम से कम दो घंटे धूप में गुजारिए। धूप न केवल बढिया एंटीबायोटिक है, बल्कि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है।
* कोलेस्ट्रोल बढ़ना कोई बीमारी नहीं, यह एक बाडी पेरामिटर है। 90 फीसद कोलेस्ट्रोल का निर्माण हमारे लिवर द्वारा हमारे शरीर की भलाई के लिए होता है।
* शाकाहारी भोजन, कार्बोहाइड्रेड वाले पदार्थों का कम से कम सेवन और नियमित वाकिंग से आप इसे नियंत्रित रख सकते हैं।
* 1.72 ट्रिलियन डालर का व्यवसाय इस समय कोलेस्ट्रोल घटाने की दवाओं का हो रहा है। ये दवा बनाने वाली कंपनियों अरबों का मुनाफा कमा रही हैं।
* कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह कोशिकाओं के नष्ट होने की एक सहज प्रक्रिया है। सामान्य कोशिकाओं और कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं में कोई अंतर नहीं होता।
* दुनिया में अब तक ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जो चुन-चुन कर कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट करे।
* कैंसर पर नियंत्रण की कई कारगर वैकल्पिक पद्धतियां हैं, मगर निहित स्वार्थी तत्वों की वजह से इनका प्रचार प्रसार नहीं हो पाता।
* मौत के भय से बचिए, मौत जीवन का अंत नहीं एक पड़ाव है। हमारे प्रयास यह होना चाहिए कि अस्पताल के आईसीयू की यातनाओं से बचते हुए आनंदपूर्वक मृत्यु का वरण करें।
* 500 प्रकार के एंटीबायोटिक बाजार में आ चुके हैं, मगर इनमें से एक भी जर्म को मारने में कारगर नहीं है।